Saturday, October 29, 2011

Bloody In Laws....

कहते है की हर बाप का सपना होता है अपने बेटी की शादी....लेकिन उस बाप को क्या कहेंगे जो अपने ही बेटी का घर तोड़ रहा हो. ये कहानी है मेरे दोस्त की, मैं और सूरज एक साथ ही पला बड़ा हुआ...सूरज शुरू से ही पढने से होशियार था. अपने दम पे आगे बढ़ने का जूनून शुरू से ही था. और अपने सपने को पूरा करने के लिए उसने पुरजोर म्हणत भी किया और अपने सपने हो हशील भी किया. लेकिन उसके भाग्य को कुछ और ही मंजूर था.

बेचारे को प्यार की बीमारी लग गयी, और यहाँ से उसके बर्वादी का शफर शुरू हो गया. उसने एक ऐसे लड़की से प्यार किया जो अपने माँ बाप से आगे किसी को भी नहीं समझती थी. खैर प्यार आगे परवान सर चढ़ गया और बात शादी तक पहुँच गयी.

लड़की कके पिता जो की शेवानिव्रित भारतीय थल शैनिक में अधिकारी थे तथा वर्तमान में किसी सरकारी बैंक में शुरक्षा प्रधकारी है. शादी के बात के लिए वो सूरज से मिले था बात किये. सूरज से कहा की शादी तो करनी ही है तो वो उसके पिताजी से बात कर ले. लेकिन उन्होंने कहा की वो उसके पिताजी की हर शर्त को मानने के लिए वडा कर लिया, और बोले की हम आपकी शादी नवम्बर के महीने में आपकी दुबारा शादी आपके पिता जी के मुताबिक करेंगे. फिर उन्होंने उसे एक कार देने का प्रलोभन देने लगे. बेचारा सीधा साधा सूरज उनके ध्रुतपान को समझ नहीं पाया. वो तो बस अपने जिम्मेदारी से भागना चाहते थे. खैर उन्होंने अपने मर्जी मुताभिक अगले ही दिन आर्य समाज मंदिर में उन दोनों की शादी करवा दिया, शादी के वक़्त दिए गए आभूषण के लिए अगले दिन से ही वो सूरज को बताने लगे की वो उस आभूषण को उन्होंने तीन महीने के उधार पे लिया है, बेचारा सीधा साधा सूरज उनके बातो को समझ नहीं पाया और उन्हें वो आभूषण वापिस कार दिया की वो उसे दुकानदार को वापस कार दे. जब वो आने लगा तो उसकी सासू उसकी जम के बेज्जती उसके पत्नी के सामने में किया लेकिन उसकी पत्नी को कोई फर्क नहीं परा, उलटे उसने भी अपने ही पति की बेज्जती कार दी,  जब सूरज ने अपने ससुर को उनका वादा याद दिलाया तो वो अपने वादे से मुकरते हुए साफ़ मन कार दिया की दुबारा शादी तो नहीं होगी. जो भी होना था वो हो गया है. अब जायदा से जायदा एक संक्युक्त रूप से पार्टी दी जा सकती है, किसिस तरह से जब सूरज ने उन्हें उनके पैसे खर्च नहीं होने देने का वादा किया तो वो मानने का नाटक किया, लेकिन तुरंत ही अपनी बेटी से उसके पैसे के बारे में पूछना शुरू कार दिया की तुम्हारी बचत की रकम किधर है और वेतन का क्या होता है, खैर सूरज ने अपने शुझ बुझ से किसी तरह इस मामले को शांत किया, तथा अपने ससुर को दिल्ली आके अपने पिता जी से मिलने के लिए तैयार किया जिसके लिए उसने लगभग सभी का पैर पाकर चाहे वो उसका बड़ा साला हो या उसकी बीबी, ससुर हो या सास.

जब उसके पत्नी के आदरणीय पिता जी आये तो वो अपने बेटी को अपने घर ले जाने के लिए बोला, जो की सूरज नहीं चाहता था, लेकिन उसके पिताजी ने अपने दोस्तों के साथ भोजन का इंतजाम करने किया था सो वो उसे वह चाहते थे, जब सूरज के पिताजी ने मन किया तो उन्हें अच्छा नहीं होने का धमकी देते हुए आने देने के लिए कहा. लेकिन जाने से पहले सूरज की तबियर बहोत जायदा ख़राब हो गयी और सूरज अपने पत्नी को रोकना चाहता था लेकिन उसके ससुर ने ये कहते हुए अपने बेटी को बुलाया की अगर वो मरे या जिए इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता, मुझे मेरी बेटी शनिवार को अपने घर के अन्दर चैहिये, खैर उनकी बेटी अपने पापा की बात को सुनते हुए ढेर सारा गिफ्ट्स ले के जाने के लिए तैयार हुई, जब वो हवाई अड्डा गयी तो सूरज ने अपने बीबी से कहा की उसे खून की उलटी हुई है लेकिन हो ये जब जाने की बाद भी अपने पिता के घर जाने की जिद्द कार के गयी..गुस्से में सूरज ने अपने पत्नी का फेसबुक पर उसकी शहदी के बारे में लिकते हुए कहा की अलग होने के लिए तैयार... जब रात में सूरज ने उसे कॉल किया तो उसने उठाना बंद कार दी फ़ोन को और ये सब बात सुनके सूरज की माता जी की तबियत बिगर गयी...जब सूरज ने उन्हें बात करने के लिए कहा तो वो ताल गयी. किसी तरह सूरज ने अपने ससुर के मोबाइल पे कॉल कांफेरेंस के जरिये अपने माँ की बाते अपने पत्नी से करवाया, , जब वो अपने ससुर को बोला की वो कम से कम इसे इतना तो समझाए लेकिन उसके ससुर ने उसके ही बेज्जती  करते हुए फ़ोन काट के बंद कार दिया. सूरज पूरी रात दर्द से पदेसान तक़रीबन १०० से अधिक कॉल अपने बब को करता रहा लेकिन उसके बीबी ले एक भी कॉल नहीं उठाया, तथा अपने माँ बाप से कुछ समझौते करते हुए वापिस जब आई तो घर में आके गुमसुम रहने लगी...बात इतनी बढ़ी की सूरज  जल गया तथा उसकी बीबी और ससुराल वाले कोई पड़ा. इधर अपने बीबी की तबियत हमेसा ख़राब देखने से सूरज पदेशान हो गया तथा उनके बाप बाप भाई सभी माँगा तथा उसे अपने पत्नी से बात करने के लिए कहा, लेकिन उनमे से कोई भी सूरज के तरफ देखा भी बही न ही कॉल किया. जब सूरज और उसके पिताजी ने कॉल किया तो उठा के नाम सुनने के बाद फ़ोन काट के बाद कार दिया. खैर सचाई को सामने लेन की लिए सूरज ने चुप रहने के लिए सोच लिए है...अपने ही पत्नी के हातो थापार खाने, ससुराल वालो से बेज्जती होने के बाद, उसके पिताजी के भी बेज्जती होने के बाद सूरज अब चुप है.....

खैर एक बात सो समझ में आ गया है की सूरज के ससुराल वाले दुबारा शादी के खिलाफ है तथा अपने आपको उचा दिखने की सोच रहे है...अब सूरज क्या करेगा...क्या नहीं वो भवन ही जनता है......सूरज की बीबी कहती है की उसकी लाइफ नरक हो गयी है सूरज के कारन.......(कहानी जारी रहेगी....)