Wednesday, April 27, 2011

किसी के हिस्से में प्यास आयी किसी के हिस्से में जाम आया

बहुत दिनों पहले विश्वविद्यालय पार्क में एक लड़के -लडकी को साथ साथ पढाई करते देखा था. बड़ा अच्छा लगा. आज की मतलबी दुनिया और बदलते रिश्तो के बीच यर रिश्ता कुछ अनोखा था. किसी ने बताया वे दोनों सिविल्स की तयारी में लगे थे. और अच्छा लगा. जहा आम बॉय -फ्रेंड गर्ल फ्रेंड पार्को में एक दुसरे को छूने और चूमने की कोशिशे करते दिखाई देते हैं, वह एक दुसरे को पढाई के लिए प्रेरित करते यह जोड़ा मन को भा गया.

पता चला एक साल बाद लड़का आईएस बन गया पद लड़की कुछ ख़ास नहीं कर पायी. और फिर लड़के ने जो बिहार के किसी धनाढ्य परिवार का था, खूब दहेज़ लेकर कही और शादी कर ली, पर जाते जाते अपनी गर्ल फ्रेंड को एक ब्लेक बेर्री मोबाइल गिफ्ट करता गया.

प्यार का ये अंदाजे अंजाम कुछ नया था. क्या ये मोबाइल उन तमाम भावनाओ का कोम्पेंसेसन था जो उनके बीच प्रेरणा स्त्रोत का काम करता था? क्या लड़की के लिए इतना आसान रहा होगा सब कुछ भुला के प्यार के उन वादों की चिता पर ब्लेक बेर्री को सजाना.

जो भी हो भाई लोग, इतना तो समझ आ ही गया होगा की आजकल इमोशन से ज्यादा पैसा महत्व रखता है. अब वो ज़माना नहीं रहा की प्यार के खातिर लोग जान दे दें. काश हीर रांझा, शीरी-फरहाद और अनारकली और सलीम ने भी माडर्न ज़माने के खयालात अपनाये होते और एक दुसरे के लिए जान न दी होती..

सो प्यार कीजिये, कसमे वादे भी क्योकि ये तो इश्क का तकाज़ा है...बस जब निभाने की बारी आये तो एक ब्लेक्बेर्री लीजिये ओउर अपनी माशूका को कहिये -- डार्लिंग हम तो तुम्हारे हो न सके पर इस मोबाइल को तुम अपना समझना ....और सारी बाते, प्यार मुहब्बत इसके पतले स्लीक और ख़ूबसूरत डिजाईन को समर्पित कर देना..

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