Tuesday, November 2, 2010

शादी क्या है?

 

ये शादी क्या है
एक शौदा है, दो जिस्मो का
अपनी क्षुदा मिटने को,
अपनी जरूरतों को पाने को

ये प्यार क्या है, अँधा है
जो अंधे होते है, वही इसे करते है
अंधे तो रहे नहीं अब अंधे
क्योंकि वो भी ब्रेल लिप के सहारे पढ़ते है

आज क युवाओ का क्या है कहना
गीध दृष्टि लगाये रहते है
जो भी हकीकत न हो
उसे भी सपने में देखा करते हैं

आज के युवतियों का क्या है कहना
हड्डिया छुपाने को, उभरे सिने और पिन्द्लिया दिखा कर
नितम्ब मटकती है.

रंगीली पोषक पहन कर
माशुम युवाओ को ललचाती है
नग्न अंगो का परदर्शन कर
दंगा और बीमारिया फैलाती है

आखिर युवाओ भी कब तक सब्र करे
माशुम हिरनी को देख शेर कैसे शांत रहे
उसे क्या पता यारो
माशुम हिरनी ही तो अशली शेरनी है

रघुवर झा

सुप्रीम कोर्ट द्वारा बिना शादी किए एक साथ रह रहे जोड़ों के लिए भरण पोषण के अधिकार की सीमारेखा तय की

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में बिना शादी किए एक साथ रह रहे जोड़ों के लिए भरण पोषण के अधिकार की सीमारेखा तय कर दी है। न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू और न्यायाधीश टीएस ठाकुर की खंडपीठ ने कहा कि लिव इन रिलेशनशिप में रह रही महिला को भरण पोषण पाने के लिए कुछ मानकों को पूरा करना होगा। अदालत ने कहा कि महज वीकेंड या एक रात का साथ गुजारा भत्ता पाने का हकदार नहीं बनाता।

अदालत ने स्पष्ट किया कि गुजारा भत्ता पाने के लिए घरेलू रिश्ता जरूरी है और वन नाइट स्टेंड या वीकेंड का साथ घरेलू रिश्ते के दायरे में नहीं आता है। इसलिए किसी महिला को बिना शादी किए अपने साथी से गुजारा भत्ता पाने के लिए इन मानकों को पूरा करना होगा। इनके तहत
  • दोनों को अपने साथी के साथ समाज की नजरों में पति पत्नी की तरह ही रहना होगा।
  • कानून के तहत दोनों की उम्र शादी करने लायक होना जरूरी है।
  • दोनों का आपसी रजामंदी और अपनी मर्जी से एक साथ रहना जरूरी है।
  • किसी प्रलोभन या कोई अन्य कारण लिव इन रिलेशनशिप नहीं माना जाएगा।
इसके अलावा दोनों का एक निश्चित समय तक एकसाथ रहना जरूरी है। इन मानकों को पूरा करने पर ही कोई महिला अपने साथी से गुजारा भत्ता पाने की हकदार होगी।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस साल मार्च में इससे जुड़ा एक अहम फैसला दिया था. इसमें मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन जजों की खंडपीठ ने शादी के पहले सेक्स और बिना शादी किए लड़का लड़की को एक साथ रहने पर पाबंदी लगाने की मांग को खारिज कर दिया था।

शादी के लड्डू कब खाये

शादी करने की सही उमर क्या होनी चाहिये ? सवाल दिखने में बडा आसान है, पर है बडा पैचीदा ।
वैसे तो बडे लोग कह गये हैं कि ये मोतीचूर नामक लड्डू की तरह है…जो खाकर पछताये जो ना खाये वो भी पछताये, लेकिन जब पछताना ही है, तो खाकर ही क्यों ना पछताया जाये, कम से कम ये पछतावा तो ना रहे कि एक बार चख ही लेते। आखिर आदम जो फल खाकर पछताया उसी के तो परिणाम स्वरूप दुनिया पछता रही है आज तक। इसलिये..शादी करनी है, ये अटल सत्य है, इसमें कोई दोराय नही..लेकिन कब करें ये बडा यक्ष प्रश्न है।

संविधान २१ कि उमर बोलता है, लेकिन २४-२५ तक पढाई से ही नही निपटते, उसके बाद २-३ साल नौकरी..थोडा पैसा । हमारी तरफ गांवों में आज भी १५-१६ में हो जाती है, आखातीज आने वाली है, तैयारियां चल ही रही होंगी, और सलमान खान ४० के हो गये अब तक नही की, याने सब का अपना अपना मापदंड है ।

दोपहर को खाना खाते समय मेरा मित्र रामा बोल पडा कि यार अब शादी कर लेनी चाहिये। मैने कहा क्यों…बोले यार अगर अब शादी कर लेंगे तो ५० की उम्र तक आते आते अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जायेंगे…या होने वाले होंगे। मैने कहा यार क्या गारंटी है। वैसे भी २५ साल बाद जमाना कितना बदल जायेगा, किसने देखा है?

मेरे एक अन्य ‘रूमी’ के इस मामले में अलग ही विचार हैं, उसका कहना है कि अपन ने टाइम लिमिट फिक्स कर ली है कि मुझे इस साल दिसम्बर में शादी करनी है, और ये मैने घर पे बता दिया है, अब या तो वो लोग दिसम्बर तक लडकी ढूंढ लें, या फिर मैं कोई जुगाड कर लूंगा।

ज्यादातर दोस्तों की राय है कि थोडा पैसा कमा लिया जाये, थोडा आजादी का सुख भोग लिया जाये…फिर बंधना तो है ही। वैसे सबसे सही पैमाना यही है, कि जैसे ही आपको कोई और किसी को आप पसंद आ जायें….कर ही लो। अब इस पैमाने का पहला हिस्सा तो अपने हाथ में है…दिक्कत भी नही है..लेकिन बाकी का ५०%…बहुत समस्या है भाई…

शादी के लिए क्या है सही उम्र

शादी का सवाल कभी न कभी सब के सामने आता है. खासकर आजकल भागती दौड़ती जिंदगी और करियर की आपाधापी में यह सवाल और भी अहम हो गया है कि शादी की क्या उम्र होनी चाहिए.

 पारंपरिक हिसाब से देखें तो भारत में 20 से 25 साल की उम्र को शादी के लिए सही समझा जाता है. बदलती सोच के मद्देनजर कुछ लोग 25 से 30 को सही उम्र बताने लगे हैं. लेकिन 28 साल के चक्रेश का कहना है कि अब पैमाना कुछ और हो गया है. वह कहते हैं, "लोग सोचते हैं कि 32 से 35 साल के बीच शादी कर लेंगे. दरअसल 20 से 30 साल की उम्र में तो आदमी अपने करियर को सेट करने में ही व्यस्त रहता है. तब शादी के लिए सोच पाना मुश्किल होता है."
करियर या शादी
शादी करना न करना, बेशक हर किसी का व्यक्तिगत फैसला हो सकता है. भारत में यूं तो 18 साल की लड़की और 21 साल के लड़के को कानूनी रूप से शादी करने का हक है. लेकिन आजकल हर कोई शादी से पहले अपनी जिंदगी को सेटल करना चाहता है. और जिस तरह आज गला काट प्रतियोगिता है, उसे देखते हुए तो इस उम्र में शादी करना टेढ़ी खीर दिखता है. हालांकि एक एड एजेंसी में काम करने वाली नेहा चोपड़ा कहती हैं कि करियर की महत्वाकांक्षा का कोई अंत नहीं होता, ऐसे में शादी के लिए सही उम्र वही है जब मानसिक रूप से उसके लिए तैयार हों. वह कहती हैं, "समाज ने या फिर आपके मां बाप ने शादी के लिए क्या उम्र तय कर रखी है, उससे कोई मतलब नहीं है. बात यह है कि जब तक आप मानसिक रूप से इसके लिए तैयार न हो, शादी नहीं करनी चाहिए."

सुनीता पचौरी एक कॉलेज लेक्चरर हैं और उन्होंने शादी 34 से 35 साल की उम्र में की. अब उनकी एक बेटी है और खुशहाल छोटा सा परिवार है. लेकिन वह मानती है कि देर से शादी करने में कभी कभी आपको वह नहीं मिल पाता जो शायद आपने सोचा है. वह कहती हैं, "कई बार अच्छे विकल्प मिल जाते हैं तो कई बार ठीक ठाक विकल्प मिलना भी मुश्किल हो जाता है. मेरे कई दोस्त हैं महिला भी और पुरूष भी, जिन्हें अब सही मैच नहीं मिल पा रहा है."

नई सोच की दरकार
हालांकि नई पीढ़ी कुछ भी सोचे, लेकिन भारत इस मामले में थोड़ा अलग है. वहां वक्त से शादी न हो तो लोग बातें बनाने लग जाते हैं. अब ऐसे में मां बाप चाहे कितने भी नई सोच के और व्यवहारिक हों, उन्हें आखिरकार रहना तो समाज में ही पड़ता है. नेहा कहती हैं, "जब भी आप ऑफिस से घर जाते हैं तो आपको लगता है कि कहीं आज फिर शादी को लेकर नई टेंशन न खड़ी हो. इससे घर की शांति भंग होती है. साथ ही आपके माता पिता की सेहत भी प्रभावित होती है. उन्हें चिंता रहती है कि बच्चों की शादी नहीं हो रही है. गाहे बगाहे उन्हें लोगों की बातें सुनने को मिलती हैं. इस तरह शादी के लिए भावनात्मक रूप से काफी दबाव होता है."

खासकर लड़कियों के लिए करियर और शादी का सवाल और भी अहम हो जाता है. शानदार करियर बनाने की तमन्ना हर किसी की हो सकती है, लेकिन परिवार को पारंपरिक रूप से एक महिला की ही जिम्मेदारी समझा जाता रहा है. वैसे भी भारतीय परिवेश में कामकाजी महिला की जवाबदेही ज्यादा हो जाती है. पुरुष प्रधान समाज की अपनी मानसिकता है तो वहीं महिलाओं को लेकर बुनियादी सामाजिक रुढ़ीवादी सोच भी एक मुद्दा है.

सुनीता कहती हैं, "अगर कोई टीचर सुबह आठ बजे घर से निकलती है और घर 2 बजे की बजाय चार बजे पहुंचे तो पहला सवाल उसके चरित्र पर ही उठता है. हो सकता है कि उसे दफ्तर में कुछ अतिरिक्त काम रहा हो, लेकिन उससे सवाल जवाब उसी तरह किए जाते हैं."

जरूरत एक संतुलन की

कई लोगों की यह भी दलील होती है कि देर से शादी करने में आगे कई दिक्कतें आ सकती हैं. खासकर परिवार बढ़ाने के सिलसिले में कुछ परेशानियां आ सकती हैं. हालांकि मनोवैज्ञानिक डॉ. मानसी यादव कहती हैं कि मेडिकल साइंस के विकास के साथ अब ऐसी आशंकाएं बहुत कम हो गई हैं. वैसे शादी की बहस के बीच आजकल एक और चलन परवान चढ़ रहा है लिव इन रिलेशनशिप का. यानी शादी से पहले साथ साथ रहना. खासकर चक्रेश जैसे नौजवानों का इस चलन में ज्यादा विश्वास न हो, लेकिन यह उसी माहौल में हो रहा है जिसका वे भी हिस्सा हैं.
वह कहते हैं, "शहरों में ऐसे युवाओं की संख्या बढ़ रही है जिन्हें लिव इन रिलेशनशिप का चलन पसंद आ रहा है. न सिर्फ यह ट्रेंडी है, बल्कि शादी जैसी बाध्यता भी इसमें नहीं है. लेकिन भारत समाज में इसकी स्वीकार्यता एक बड़ा मुद्दा है."

खैर, शादी की सही उम्र को लेकर जो बात उभर कर सामने आती है, वह यही है कि करियर और निजी जिंदगी में एक संतुलन बेहद जरूरी है. और हर व्यक्ति अपनी परिस्थिति के आधार पर तय कर सकता है कि उसे कब शादी करनी चाहिए.

बेवकूफ लोग ही शादी करते है!


Slavery मेरे एक मित्र थे जो हमेशा कहा करते थे कि सिर्फ बेवकूफ लोग ही शादी करते है. उनका कहना था कि विवाह तो गुलामी है, इससे बेहतर है कि पैसे फेंको, क्योंकि दुनियां में पैसे से सब कुछ मिल जाता है. अच्छी खासी नौकरी थी, ऊपरी कमाई को तो कोई हिसाब नहीं था, किसी से भी गहरा संबंध नहीं था, मांबाप व भाईबहन आदि से पहले ही जुदा हो चुके थे. अत: कमाई को सुर, सुरा, संदरी पर खरचने में कोई खास तकलीफ नहीं होती थी.
एक दिन “ऊपरी” कमाई करते में “अंदर” हो गये. वकीलों पर बहुत खर्चा किया, लेकिन जब तक बाहर आये तब तक नौकरी जा चुकी थी एवं बैंक में बचत शून्य के साथ होड लगा रहा था. लेकिन उन्होंने हिम्मत न हारी. वे बोले “जब पैसा है तब बेवकूफ शादी करते है, लेकिन जब पैसा न रहा तो बुद्धिमान शादी करते हैं”. पत्रों की ड्राफ्टिंग बहुत की थी, अत: उन्होंने अपने आप को जवान, आकर्षक, बुद्धिमान, एवं जिम्मेदार व्यक्ति बता कर किसी 40 साल से ऊपर की सुंदर, समर्पित, सुशील, “एकलौती” बिटिया के लिये वैवाहिक विज्ञापन दिया.
पचासेक उत्तर आये. एक था एक 40 साल उमर की आस्ट्रेलियाई स्त्री का. चित्र नहीं था लेकिन एकलौती थी, सुंदर थी, सुशील थी, करोडपति थी, अट्टालिका में रहती थी, 100,000 एकड का फार्महाऊस था. आस्ट्रेलिया पहुंचने के पहले ही “इंटरनेट-विवाह” का प्रावधान था. तुरंत ही इंटरनेट पर ही चैट द्वारा शादी रचा ली जिससे स्वर्ग में विचरने का सुख कोई और छीन न ले जाये. अगले महीने वीसा आ गया. पंख लगा कर आस्ट्रेलिया की धरती पर उतरे. हवाई अड्डे पर दो खूबसूरत बालाओं ने उनका स्वागत किया. सामान, पर्स, पासपोर्ट, वीसा सब हाथ में ले लिया. घर पहुंचा दिया.
आजकल वे बिन अपना सामान, पर्स, पासपोर्ट, वीसा आदि के उस घर के 80 साल उमर की मालिकिन के खानसामा का काम करते है. सच है, बेवकूफ लोग ही बिना सोचे समझे शादी करते है. (वास्तविक घटनाओं पर आधारित लेख).

शादी को लेकर है कंफ्यूजन?

आपका बॉयफ्रेंड आपसे शादी करना चाहता है या नहीं। अगर आप इस बात को लेकर कंफ्यूजन में हैं, तो चलिए आपकी इ
स परेशानी को सॉल्व कर देते हैं। इन बातों पर ध्यान देकर आप अपनी इस दुविधा को दूर कर सकती हैं।

आप खूबसूरत, सेक्सी व इंडिपेंडेंट हैं और अपने फ्रेंड की कंपनी को खूब इन्जॉय भी करती हैं, लेकिन अब तक आपको महसूस नहीं हुआ है कि आप उसे लेकर संजीदा हैं यानी आप अपनी दोस्ती को शादी में बदलना चाहती हैं। या फिर आपको यह समझ में नहीं आ रहा है कि आपका दोस्त आपसे शादी करना चाहता है। ऐसे में आप अपने कंफ्यूज होने या इमोशंस में आकर गलत राह पकड़ने की बजाय अपने रिश्ते के हर पहलू पर प्रैक्टिकल अप्रोच से सोचें।

आंखें खुली रखें
अपनी दोस्ती में उन सभी चीजों को नोट करें, जिनसे लगे कि आप उसे प्यार करती हैं। ऐड एजेंसी में जॉब कर रहे प्रकाश गोवड़ा कहते हैं, 'अगर आपको लगता है कि आपका उसके साथ कोई फ्यूचर नहीं है, तो ऐसी दोस्ती को शादी में तब्दील करना बेवकूफी है।' प्रकाश पिछले एक साल से एक लड़की के साथ डेट कर रहे है और उन्हें लगता है कि वह उनके लिए एक अच्छी लाइफ पार्टनर साबित हो सकती है। लेकिन जब भी प्रकाश उससे शादी की बात करते हैं, तो वह कोई जवाब नहीं देती है। प्रकाश बताते हैं कि वह हमेशा आज में जीने में यकीन करती है और उसे फ्यूचर से कोई मतलब नहीं है। अगर मैं उससे शादी की बात करता हूं, तो वह अपनी दोस्ती को बिना किसी कमिटमेंट के चलाना चाहती है। शायद वह किसी भी तरह की जिम्मेदारी लेने से कतराती है, इसलिए अब उन्होंने उससे अपनी दोस्ती खत्म करने का मन बना लिया है।

यह सही है कि आप किसी की 'हां' सुनने के लिए सारी जिंदगी इंतजार नहीं कर सकते और आपके दोस्त की बॉडी लैंग्वेज व बातचीत से आपको अंदाजा लग जाता है कि वह आप से शादी करना चाहता है या नहीं।

निगाह रखें
अक्सर कई कपल कन्फ्यूजन में दोस्ती को ही कमिटमेंट सोच बैठते हैं। फाइनैंस प्रफेशनल आदित्य राज के साथ कई बार ऐसा हुआ है। वह कहते हैं, 'लड़के बिल्कुल स्ट्रेट फोरवर्ड होते हैं। जबकि लड़कियों को समझ पाना बेहद मुश्किल है। मैं अपनी एक गर्लफ्रेंड से इमोशनली अटैच हो गया था, लेकिन जब भी मुझे उसकी जरूरत होती, वह हमेशा बिजी होती। फिर एक रोज मुझे लगा कि मैं उसे जितना चाहता हूं, वह मुझे बिल्कुल नहीं चाहती है। इसलिए मैंने उससे शादी करने का इरादा छोड़ दिया।'

सिग्नल पहचानें
अगर आपकी दोस्ती लंबे समय से है, तो आप यह न सोचें कि वह खुद ही आपको शादी करने का सिग्नल देगा। कई लड़कियां सोचती हैं कि सच्चा प्यार वही है, जो उन्हें पाने के लिए किसी भी हद तक जाए। पीआर कंसलटेंट श्रुति बोस कहती हैं, 'अगर आपको लगता है कि आपका दोस्त मैरिज मैटिरियल है, तो आप खुद पहल कर सकती हैं। अक्सर लड़के रिजेक्शन के डर से प्रपोज नहीं करते। अगर मेरे बॉयफ्रेंड में हिम्मत नहीं है कि वह मुझे शादी के लिए प्रपोज करे, तो मैं उसे ऐसा सिग्नल दूंगी, जिससे वह समझ जाए कि मैं उससे शादी करना चाहती हूं।' वहीं इंश्योरेंस प्रफेशनल प्रज्ञा खन्ना बताती हैं, 'लड़कियों बहुत जल्दी पहचान लेती हैं कि वह लड़का उससे शादी करना चाहता है या नहीं। जो लड़के शादी करने में दिलचस्पी रखते हैं, वे डंवाडोल बातें नहीं करते और फ्यूचर प्लानिंग में हमेशा 'मैं' की बजाय 'हम' शामिल करते हैं।'

जिम्मेदारी से घबराहट
अगर आपका फ्रेंड इमोशनल या फाइनैंशल जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता है, तो इसका मतलब यह कतई नहीं है कि वह आप से शादी नहीं करना चाहता। हो सकता है कि अभी वह शादी के लिए तैयार न हो। हो सकता है कि अब तक आपका रिलेशन बिना किसी डायरेक्शन के चल रहा हो। जैसे:

वह आपसे फ्यूचर को लेकर कोई बात न करें।

आपको अपनी फैमिली या दोस्तों से न मिलवाएं।

वह आपको सिर्फ टाइम पास समझता हो।

आप से बात हमेशा अपने मूड के मुताबिक करता हो।

अगर वह अपने करियर को लेकर फोकस नहीं है और अपने फ्यूचर प्लानिंग में आपको शामिल नहीं करता है। इसका मतलब है कि वह आपको सिर्फ टाइम पास समझता है या फिर आपको बेवकूफ बना रहा है। ऐसे रिलेशन को चलाने से अच्छा है कि उसे खत्म कर दें।

शादी पर आउटसाइड सपोर्ट

शादी जैसा कि सब जानते हैं, भारत वर्ष में महत्वपूर्ण मसला है। हर झगड़े की शुरुआत शादी से होती है, महाभारत का झगड़ा याद किया जा सकता है, जब भीष्म पितामह के पिताश्री ने बुढ़ापे में शादी करके महाभारत की नींव डाली थी। भारतवर्ष में हर स्टोरी का अंत शादी पर होता है, अगर फिल्म हो। और अगर सीरियल हो, तो शादी के बाद पचास साठ ऐपीसोड उसी शादी पे खिंच जाते हैं। पहली शादी, दूसरी शादी, सीरियलों में शादी की विकासदर बहुत ज्यादा है, प्रति व्यक्ति पांच सात शादी तो यूं ही हो लेती हैं।
खैर कुछ लोगों की शादी देखकर लगता है कि हाय इन्होने शादी क्यों की।
और कुछ लोगों को देखकर लगता है कि हाय इनके मां -बाप ने शादी क्यों की, अगर वे कुंवारे रहते, तो राष्ट्र का कित्ता भला हो जाता। हम सिर्फ कई नेताओं की बात नहीं कर रहे हैं।
खैर अभी सिफारिश की गयी है कि नौजवानों को अठारह की उम्र में शादी की परमीशन होनी चाहिए। तर्क यह है कि अगर अठारह की उम्र में वह नेताओँ को चुन सकते हैं, तो पत्नी को क्यों नहीं चुन सकते।
पर भाई लोगो, देखो तो अठारह का वोटर जो नेता चुन रहा है, उसकी क्वालिटी क्या है। मतलब अब आप खुदै ही हाल देख लो, जो चुनकर आ रहे हैं।
अठारह का जो अपनी शादी के लिये चुनेगा,उसकी क्वालिटी भी अगर यही हुई, तो क्या होगा जी।
नेताओँ के मामले में तो पांच साल बाद दूसरा चुनने की आजादी होती है।
क्या नौजवानों या बालिकाओं को भी दूसरे के लिए या पसंद ना आने पर तीसरे के लिए मध्यावधि चुनाव की इजाजत होगी।
या बाद में शादी में भी नेताओं की और हरकतों को लाने की सिफारिश की जायेगी।
जैसे कि अगर शादी में बात नहीं जम पा रही है, तो किसी से आउटसाइड सपोर्ट ले लिया जाये।
आज उससे, कल उससे, फिर उससे………। यूं संभावनाएं अनंत हैं, पर अगर भारतीय शादी भारतीय राजनीति के लेवल पर उतर आयी, तो ………। जिसे अपना मान लिया, बाद में वह देवेगौड़ा टाइप रुख दिखाते हुए पहचानने से इनकार कर दे या आपके ही सामने पड़ोसी से मिलन वार्ता शुरु कर दे तो।
यह विकट मसला है।
नेताओं की सी हरकतें शादी- ब्याह में नहीं झेली जा सकतीं।
नेतागिरी के माडल से देश तबाह होना चाहिए, अपना घर तबाह करने के तरीके हम सब को खुद तलाशने की परमीशन होनी चाहिए।
वैसे अठारह में नौजवानों की शादी के पक्ष में जो सिफारिश है, उसका एक फायदा यह है कि बंदा बहुत जल्दी अपनी ऊर्जा के नकारात्मक इस्तेमाल से बच जायेगा। अब जैसे अगर किडनीफेम के डा अमित की शादी अठारह साल में हो गयी होती, तो वह बच्चे के स्कूल एडमीशन, बढ़ी हुई फीस के चुकाने की चिंता, आटे के महंगे भावों से जूझ रहे होते। दूसरों की किडनी बदलने का ख्याल उन्ही को आ पाता है, जो अपनी फटी पैंट और टूटी चप्पल बदलने की चिंताओँ से मुक्त होते हैं।
यूं अठारह में शादी का सबसे ज्यादा विरोध वैलंटाइन कारोबारियों की तरफ से होगा,जो यह जानते हैं कि अठारह में शादी हो ली, तो जो रकम अभी गुलाब के फूल मे खर्च होती है, वह आटे-दाल की खऱीद में चली जायेगी।
हमें वैलंटाइन कारोबारियों के रोजगार को ध्यान में रखकर भी विवाह की उम्र को कम नहीं करना चाहिए।

शादी क्यों की?

शादी को किसी भी इंसान की जिंदगी में नई शुरुआत माना जाता है, लेकिन आगे चलकर यह बेहद उबाऊ हो जाती
 
है। एक सर्वेक्षण की मानें तो शादी के 10 साल के बाद जिंदगी बोझिल महसूस होने लगती है।

ब्रिटेन में हुए एक नए सर्वेक्षण में यह कहा गया है कि शादी के 10 साल के बाद पति और पत्नी के बीच उस तरह का तालमेल नहीं रह जाता, जैसा शादी के ठीक बाद होता है। इस सर्वेक्षण में 3,000 शादीशुदा पुरुषों और महिलाओं से उनकी राय ली गई और फिर इस नतीजे पर पहुंचा गया।

स्थानीय समाचार पत्र 'डेली मेल' के अनुसार, शोधकर्ताओं का कहना है कि पति और पत्नी एक-दूसरे को उस समय उबाऊ लगने लगते हैं, जब शादी को 10 साल पूरे हो जाते हैं। शादी के एक दशक पूरा होने के बाद पति-पत्नी के बीच पहले जैसा उत्साह नहीं रह जाता और वे रोजमर्रा की जिंदगी में परेशानी महसूस करने लगते हैं।

एक सर्वेक्षण के अनुसार, 'हर पांचवे दम्पति को यौन जीवन में भी निराशा लगने लगती है। सर्वेक्षण में शामिल 12 फीसदी लोगों का यह कहना है कि उन्हें याद नहीं कि पिछली बार उनके साथी ने कब उनकी तारीफ की थी। कई लोगों ने यह माना कि वे अक्सर सोचते हैं कि उन्होंने इस साथी (पति या पत्नी) से शादी क्यों की?'