Tuesday, November 2, 2010

शादी पर आउटसाइड सपोर्ट

शादी जैसा कि सब जानते हैं, भारत वर्ष में महत्वपूर्ण मसला है। हर झगड़े की शुरुआत शादी से होती है, महाभारत का झगड़ा याद किया जा सकता है, जब भीष्म पितामह के पिताश्री ने बुढ़ापे में शादी करके महाभारत की नींव डाली थी। भारतवर्ष में हर स्टोरी का अंत शादी पर होता है, अगर फिल्म हो। और अगर सीरियल हो, तो शादी के बाद पचास साठ ऐपीसोड उसी शादी पे खिंच जाते हैं। पहली शादी, दूसरी शादी, सीरियलों में शादी की विकासदर बहुत ज्यादा है, प्रति व्यक्ति पांच सात शादी तो यूं ही हो लेती हैं।
खैर कुछ लोगों की शादी देखकर लगता है कि हाय इन्होने शादी क्यों की।
और कुछ लोगों को देखकर लगता है कि हाय इनके मां -बाप ने शादी क्यों की, अगर वे कुंवारे रहते, तो राष्ट्र का कित्ता भला हो जाता। हम सिर्फ कई नेताओं की बात नहीं कर रहे हैं।
खैर अभी सिफारिश की गयी है कि नौजवानों को अठारह की उम्र में शादी की परमीशन होनी चाहिए। तर्क यह है कि अगर अठारह की उम्र में वह नेताओँ को चुन सकते हैं, तो पत्नी को क्यों नहीं चुन सकते।
पर भाई लोगो, देखो तो अठारह का वोटर जो नेता चुन रहा है, उसकी क्वालिटी क्या है। मतलब अब आप खुदै ही हाल देख लो, जो चुनकर आ रहे हैं।
अठारह का जो अपनी शादी के लिये चुनेगा,उसकी क्वालिटी भी अगर यही हुई, तो क्या होगा जी।
नेताओँ के मामले में तो पांच साल बाद दूसरा चुनने की आजादी होती है।
क्या नौजवानों या बालिकाओं को भी दूसरे के लिए या पसंद ना आने पर तीसरे के लिए मध्यावधि चुनाव की इजाजत होगी।
या बाद में शादी में भी नेताओं की और हरकतों को लाने की सिफारिश की जायेगी।
जैसे कि अगर शादी में बात नहीं जम पा रही है, तो किसी से आउटसाइड सपोर्ट ले लिया जाये।
आज उससे, कल उससे, फिर उससे………। यूं संभावनाएं अनंत हैं, पर अगर भारतीय शादी भारतीय राजनीति के लेवल पर उतर आयी, तो ………। जिसे अपना मान लिया, बाद में वह देवेगौड़ा टाइप रुख दिखाते हुए पहचानने से इनकार कर दे या आपके ही सामने पड़ोसी से मिलन वार्ता शुरु कर दे तो।
यह विकट मसला है।
नेताओं की सी हरकतें शादी- ब्याह में नहीं झेली जा सकतीं।
नेतागिरी के माडल से देश तबाह होना चाहिए, अपना घर तबाह करने के तरीके हम सब को खुद तलाशने की परमीशन होनी चाहिए।
वैसे अठारह में नौजवानों की शादी के पक्ष में जो सिफारिश है, उसका एक फायदा यह है कि बंदा बहुत जल्दी अपनी ऊर्जा के नकारात्मक इस्तेमाल से बच जायेगा। अब जैसे अगर किडनीफेम के डा अमित की शादी अठारह साल में हो गयी होती, तो वह बच्चे के स्कूल एडमीशन, बढ़ी हुई फीस के चुकाने की चिंता, आटे के महंगे भावों से जूझ रहे होते। दूसरों की किडनी बदलने का ख्याल उन्ही को आ पाता है, जो अपनी फटी पैंट और टूटी चप्पल बदलने की चिंताओँ से मुक्त होते हैं।
यूं अठारह में शादी का सबसे ज्यादा विरोध वैलंटाइन कारोबारियों की तरफ से होगा,जो यह जानते हैं कि अठारह में शादी हो ली, तो जो रकम अभी गुलाब के फूल मे खर्च होती है, वह आटे-दाल की खऱीद में चली जायेगी।
हमें वैलंटाइन कारोबारियों के रोजगार को ध्यान में रखकर भी विवाह की उम्र को कम नहीं करना चाहिए।

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