सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में बिना शादी किए एक साथ रह रहे जोड़ों के लिए भरण पोषण के अधिकार की सीमारेखा तय कर दी है। न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू और न्यायाधीश टीएस ठाकुर की खंडपीठ ने कहा कि लिव इन रिलेशनशिप में रह रही महिला को भरण पोषण पाने के लिए कुछ मानकों को पूरा करना होगा। अदालत ने कहा कि महज वीकेंड या एक रात का साथ गुजारा भत्ता पाने का हकदार नहीं बनाता।
अदालत ने स्पष्ट किया कि गुजारा भत्ता पाने के लिए घरेलू रिश्ता जरूरी है और वन नाइट स्टेंड या वीकेंड का साथ घरेलू रिश्ते के दायरे में नहीं आता है। इसलिए किसी महिला को बिना शादी किए अपने साथी से गुजारा भत्ता पाने के लिए इन मानकों को पूरा करना होगा। इनके तहत
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस साल मार्च में इससे जुड़ा एक अहम फैसला दिया था. इसमें मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन जजों की खंडपीठ ने शादी के पहले सेक्स और बिना शादी किए लड़का लड़की को एक साथ रहने पर पाबंदी लगाने की मांग को खारिज कर दिया था।
अदालत ने स्पष्ट किया कि गुजारा भत्ता पाने के लिए घरेलू रिश्ता जरूरी है और वन नाइट स्टेंड या वीकेंड का साथ घरेलू रिश्ते के दायरे में नहीं आता है। इसलिए किसी महिला को बिना शादी किए अपने साथी से गुजारा भत्ता पाने के लिए इन मानकों को पूरा करना होगा। इनके तहत
- दोनों को अपने साथी के साथ समाज की नजरों में पति पत्नी की तरह ही रहना होगा।
- कानून के तहत दोनों की उम्र शादी करने लायक होना जरूरी है।
- दोनों का आपसी रजामंदी और अपनी मर्जी से एक साथ रहना जरूरी है।
- किसी प्रलोभन या कोई अन्य कारण लिव इन रिलेशनशिप नहीं माना जाएगा।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस साल मार्च में इससे जुड़ा एक अहम फैसला दिया था. इसमें मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन जजों की खंडपीठ ने शादी के पहले सेक्स और बिना शादी किए लड़का लड़की को एक साथ रहने पर पाबंदी लगाने की मांग को खारिज कर दिया था।
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