ये शादी क्या है
एक शौदा है, दो जिस्मो का
अपनी क्षुदा मिटने को,
अपनी जरूरतों को पाने को
ये प्यार क्या है, अँधा है
जो अंधे होते है, वही इसे करते है
अंधे तो रहे नहीं अब अंधे
क्योंकि वो भी ब्रेल लिप के सहारे पढ़ते है
आज क युवाओ का क्या है कहना
गीध दृष्टि लगाये रहते है
जो भी हकीकत न हो
उसे भी सपने में देखा करते हैं
आज के युवतियों का क्या है कहना
हड्डिया छुपाने को, उभरे सिने और पिन्द्लिया दिखा कर
नितम्ब मटकती है.
रंगीली पोषक पहन कर
माशुम युवाओ को ललचाती है
नग्न अंगो का परदर्शन कर
दंगा और बीमारिया फैलाती है
आखिर युवाओ भी कब तक सब्र करे
माशुम हिरनी को देख शेर कैसे शांत रहे
उसे क्या पता यारो
माशुम हिरनी ही तो अशली शेरनी है
रघुवर झा
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